Ayurveda

हृदय रोगों के लिए Ayurvedic treatment – आयुर्वेदिक दवाएं और घरेलू उपचार

आज के समय में हृदय रोग (Heart Disease) तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। असंतुलित जीवनशैली, जंक फूड, तनाव और व्यायाम की कमी ने हृदय को कमजोर बना दिया है। आधुनिक चिकित्सा (Modern Medicine) जहाँ हृदय रोगों के इलाज के लिए उन्नत तकनीक और दवाओं पर निर्भर करती है, वहीं आयुर्वेद (Ayurveda) प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उपचार पद्धतियों से हृदय को मजबूत और स्वस्थ बनाने पर जोर देता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि Ayurvedic treatment किस प्रकार हृदय रोगों से बचाव और उपचार में सहायक है, कौन-कौन सी आयुर्वेदिक औषधियां हृदय के लिए लाभकारी हैं और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

हृदय रोग और आयुर्वेद का दृष्टिकोण

आयुर्वेद में हृदय रोग को हृद्रोग (Hridroga) कहा गया है। आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में हृदय रोग की विस्तृत व्याख्या की गई है।
चरक ने “हृदय महाकाशाय” समूह में ऐसी 10 दवाओं का वर्णन किया है जो हृदय को मजबूत करने और रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में सहायक हैं। ये औषधियां न केवल ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती हैं, बल्कि शरीर के संपूर्ण Cardio-Vascular System को संतुलित बनाए रखने में मदद करती हैं।
Ayurvedic treatment का उद्देश्य केवल रोग का इलाज करना ही नहीं, बल्कि उसकी जड़ को समाप्त करना और शरीर की प्राकृतिक ऊर्जा को संतुलित करना है।

हृदय रोगों में सहायक प्रमुख Ayurvedic treatment

1. गुग्गल (Guggul)

  • गुग्गल (Commiphora mukul) को सदियों से आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयोग किया जाता रहा है।
  • यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में सहायक है।
  • यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है और धमनियों को साफ रखने में मदद करता है।
  • नियमित और सीमित मात्रा में लेने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।

2. अर्जुनारिष्ट (Arjunarishta)

  • अर्जुन की छाल से तैयार अर्जुनारिष्ट हृदय की सबसे महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है।
  • यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।
  • इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री-रेडिकल्स से हृदय की रक्षा करते हैं।
  • रिसर्च में पाया गया है कि एक महीने तक सेवन से HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ता है और LDL घटता है।

3. पुष्करमूल (Pushkarmool)

  • यह औषधि रक्त संचार को बेहतर करती है।
  • बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में सहायक है।
  • यह टैबलेट, पाउडर और जूस के रूप में उपलब्ध होती है।

4. लसूना (Garlic)

  • लहसुन का सेवन हृदय रोगों के लिए रामबाण माना जाता है।
  • यह ब्लड क्लॉट बनने से रोकता है और धमनियों में रक्त का प्रवाह सुचारू करता है।
  • इसमें मौजूद सल्फर कंपाउंड्स हृदय को मजबूत बनाते हैं।
  • Ayurvedic treatment में लहसुन की गोलियां भी उपलब्ध हैं।

5. अमालकी रसायन (Amla)

  • आंवला विटामिन C का सबसे समृद्ध स्रोत है।
  • यह धमनियों को लचीला और मजबूत बनाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है।
  • इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हृदय की कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं।

6. जटामांसी (Jatamansi)

  • जटामांसी न केवल मानसिक रोगों बल्कि हृदय रोगों में भी उपयोगी है।
  • यह हृदय को शांत रखता है और कार्डियक अरेस्ट जैसी स्थितियों में लाभकारी है।
  • Ayurvedic treatment में इसे तनाव और चिंता कम करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

7. मोरिंगा (Moringa / सहजन)

  • मोरिंगा की पत्तियों और अर्क में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
  • यह हृदय की क्षति को रोकते हैं और ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक हैं।
  • इसे नियमित डाइट में शामिल करना हृदय के लिए लाभकारी है।

8. अलसी (Flax Seeds)

  • अलसी में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड हृदय रोगों में बेहद उपयोगी हैं।
  • यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है।
  • अलसी का तेल भी हृदय के लिए लाभकारी होता है।

9. अन्य महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधियां

  • बाला (Sida cordifolia)
  • नागबाला (Sida humilis)
  • शुंथि (सूखी अदरक)
  • पिप्पली (Piper longum)
  • यष्टिमधु (मुलेठी)
  • हरीतकी (Terminalia chebula)
  • दशमूल

इन सभी औषधियों का सेवन चिकित्सक की देखरेख में करने से हृदय की सेहत को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

हृदय रोग से बचाव के लिए Ayurvedic treatment और जीवनशैली

संतुलित आहार (Balanced Diet)

  • ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और दालों का सेवन करें।
  • तैलीय, मसालेदार और जंक फूड से बचें।
  • आहार में त्रिफला, हल्दी और दालचीनी जैसी आयुर्वेदिक चीजें शामिल करें।

नियमित व्यायाम और योग

  • प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी जैसे योगासन हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं।
  • रोजाना कम से कम 30 मिनट की वॉक करें।

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तनाव प्रबंधन

  • मेडिटेशन, ध्यान और गहरी सांस की क्रियाएं मानसिक तनाव को कम करती हैं।
  • तनावमुक्त जीवन हृदय रोगों के खतरे को कम करता है।

नींद और दिनचर्या

  • पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) लें।
  • अनियमित दिनचर्या और देर रात तक जागने से हृदय पर असर पड़ता है।

Ayurvedic treatment अपनाने से पहले सावधानियां

  • हर आयुर्वेदिक औषधि सभी लोगों पर समान प्रभाव नहीं डालती।
  • कुछ औषधियां विशेष डाइट के साथ ही असर दिखाती हैं।
  • गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग या पहले से दवाएं ले रहे मरीज डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
  • दवा का सेवन हमेशा चिकित्सक की देखरेख में ही करें।

निष्कर्ष

हृदय रोग से बचाव और उपचार के लिए Ayurvedic treatment एक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प हो सकता है। आयुर्वेदिक औषधियां जैसे गुग्गल, अर्जुनारिष्ट, लहसुन, आंवला, जटामांसी और अलसी न केवल हृदय को मजबूत बनाती हैं बल्कि पूरे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को संतुलित करती हैं।
हालांकि, केवल दवाओं पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। सही आहार, योग, ध्यान और तनाव प्रबंधन भी हृदय रोगों से बचने में अहम भूमिका निभाते हैं।

यह लेख allwellhealthorganic टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो लगातार स्वास्थ्य और वेलनेस से जुड़े विषयों पर विश्वसनीय और शोध-आधारित जानकारी उपलब्ध कराती है। अगर आप प्राकृतिक तरीकों से हृदय रोग से बचाव चाहते हैं तो आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment) को अपनाना एक उत्तम विकल्प हो सकता है।

Disclaimer:
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